PNदीघा जागरतो रत्ति, सन्तस्स योजनं।
दीघो बालानं संसारो, सद्धंम्मं अविजानतं ॥
जागने वाले की रात लम्बी हो जाती है , थके हुये का योजन लम्बा हो जाता है । सद्धर्म को न जानने वाले मूर्ख व्यक्तियों के लिये संसार चक्र लम्बा हो जाता है ।
धम्मपद गाथा ५:६० बालवग्गो ।
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