मावमञ्ञेथ [माप्पमञ्ञेथ (सी॰ स्या॰ पी॰)] पापस्स, न मन्तं [न मं तं (सी॰ पी॰), न मत्तं (स्या॰)] आगमिस्सति।
उदबिन्दुनिपातेन, उदकुम्भोपि पूरति।
बालो पूरति [पूरति बालो (सी॰ क॰), आपूरति बालो (स्या॰)] पापस्स, थोकं थोकम्पि [थोक थोकम्पि (सी॰ पी॰)] आचिनं॥
’ वह मेरे पास नही आयेगा ’ ऐसा सोच कर पाप की अवेहलना न करे । बूंद-२ करने से घडा भर जाता है । ऐसे ही थोडा-२ संचय करने से मूढ व्यक्ति भी पाप से भर जाता है ।
धम्मपद गाथा ९ पापवग्गो
Think not lightly of evil, saying, "It
will not come to me." Drop by drop is the water
pot filled; likewise, the fool, gathering it little by
little, fills oneself with evil.
The Dhammapada Chapter Nine -- Evil
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