Wednesday, March 23, 2016

सत्पुरुष विकार रहित होते हैं।


Tuesday, March 22, 2016

विद्वान निंदा और प्रशंसा से विचलित नहीं होते हैं।


विद्व जन


Thursday, March 10, 2016

उपदेशक प्रिय भी,अप्रिय भी।

उपदेशक जो उपदेश देता है,अनुशासन करता है, रास्ता बताता है, गलतियों से सावधान करता है, अशिस्टता व् अनाचार से दूर करता है, वह मनुष्य सत्पुरुषों को तो प्रिय होता है परंतु वही पुरुष असत्पुरुषों को अप्रिय होता है।
                 तथागत बुद्ध


Tuesday, March 8, 2016

विद्वान का साथ करें।

जो व्यक्ति आपके दोष उसी प्रकार से आपको बताये जिस प्रकार से वह किसी खजाने का पता बतावे तो ऐसे विज्ञ व्यक्ति की संगत करनी चाहिए।


Monday, March 7, 2016

पाप कर्म शीघ्र फल नहीं देते।


बुद्ध कहते हैं कि हमारे द्वारा किये गए पाप कर्मों का प्रतिफल हमें तुरंत मिले यह हमेशा संभव नहीं होता है।कई बार पाप कर्मों का दंड हमें इतने अधिक समय बाद मिलता है कि हमें समझ ही नहीं आता कि यह अप्रिय संयोग हमारे साथ ही क्यों हुआ।
हमारे साथ प्रिय या अप्रिय घटनाएं अनायास ही नहीं घटतीं हमारे कर्मों का फल ही होती हैं।
बुद्ध के अनुसार वास्तव में पाप कर्म जब तक फलित नहीं होते तब तक वो उसी प्रकार हमारा पीछा करते रहते हैं जैसे राख के ढेर में आग सुलगते हुए अपना ताप बनाये रखती है।