सब्बपापस्स अकरणं, कुसलस्स उपसम्पदा [कुसलस्सूपसम्पदा (स्या॰)]।
सचित्तपरियोदपनं [सचित्तपरियोदापनं (?)], एतं बुद्धान सासनं॥
सब बुराइयों से दूर रहो ..अच्छाइयाँ पैदा करने की कोशिश करते रहो …मन मस्तिष्क की शुद्ध्ता रखॊ ।
धम्मपद १८३
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