सदा जागरमानानं, अहोरत्तानुसिक्खिनं।
निब्बानं अधिमुत्तानं, अत्थं गच्छन्ति आसवा॥
जो सदा जागरुक रहते हैं , रात दिन सीखने मे लगे रहते हैं और जिनका ध्येय निर्वाण प्राप्त करना होता है , उनके आश्र्रव नषट हो जाते हैं ।
धम्मपद २२६
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