Monday, March 14, 2011

Daily words of the Buddha #14-3-2011#

पोराणमेतं अतुल, नेतं अज्‍जतनामिव।

निन्दन्ति तुण्हिमासीनं, निन्दन्ति बहुभाणिनं।

मितभाणिम्पि निन्दन्ति, नत्थि लोके अनिन्दितो॥

                               धम्मपद २२७

हे अतुल , यह पुरानी बात है , आज की नही , लोग चुप रहने वाले की भी निंदा करते हैं , बहुत बोलने वाले की भी निंदा करते हैं . संसार मे अनिंदित कोई नही है .

न चाहु न च भविस्सति, न चेतरहि विज्‍जति।

एकन्तं निन्दितो पोसो, एकन्तं वा पसंसितो॥

                           धम्मपद २२८

ऐसा पुरुष जिसकी निंदा ही होती है या प्रशंसा ही प्रशंसा , न था , न है और न होगा .