पापञ्चे पुरिसो कयिरा, न नं [न तं (सी॰ पी॰)] कयिरा पुनप्पुनं।
न तम्हि छन्दं कयिराथ, दुक्खो पापस्स उच्चयो॥
यदि कोई पुरुष पापकर्म कर डाले तो उसे बार-२ तो न करे | वह उसमे रुचि न ले क्योंकि पापकर्म का संचय दुख का कारण बनता है ।
धमपद गाथा ९:११७ पापवग्गो
Should a person commit evil, let one
not do it again and again. Let one not find pleasure
therein, for painful is the accumulation of evil.
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