यस्स जितं नावजीयति, जितं यस्स [जितमस्स (सी॰ स्या॰ पी॰), जितं मस्स (क॰)] नो याति कोचि लोके।
तं बुद्धमनन्तगोचरं, अपदं केन पदेन नेस्सथ॥
वह विजेता है , उस पर कभी विजय प्राप्त नही की जा सकती ..उसके प्रभाव क्षेत्र मे कोई दखल नही दे सकता । उसके पास पहुँचने का मर्ग है …बुद्ध ..जो जागृत स्वरुप है ।
धम्मपद १७९
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