Friday, April 30, 2010

Daily words of the Buddha # 30-4-2010

यो बालो मञ्‍ञति बाल्यं, पण्डितो वापि तेन सो।

बालो च पण्डितमानी, स वे ‘‘बालो’’ति वुच्‍चति॥

                                      धम्मपद ६३.

जो मूढ होकर अपनी मूढता को स्वीकारता है वह सच्चे अर्थ मे ज्ञानी और पंडित  है और जो मूढ होकर अपने आप को पंडित  मानता है , वह मूढ ही कहलाया जाता है ।

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