Saturday, April 10, 2010

Daily words of Buddha # 10-4-2010

कुम्भूपमं कायमिमं विदित्वा, नगरूपमं चित्तमिदं ठपेत्वा।

योधेथ मारं पञ्‍ञावुधेन, जितञ्‍च रक्खे अनिवेसनो सिया॥

इस शरीर को घडॆ के समान जान और इस चित्त को गढ के समान रक्षित और दृढ बना , प्रज्ञा रुपी शस्त्र के साथ मार से युद्ध करे । उसे जीत लेने पर भी चित्त की रक्षा करे और अनास्कत बना रहे ।

                                                 धम्मपद गाथा ३:४० चित्तवग्गो

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