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Saturday, April 10, 2010

Daily words of Buddha # 10-4-2010

कुम्भूपमं कायमिमं विदित्वा, नगरूपमं चित्तमिदं ठपेत्वा।

योधेथ मारं पञ्‍ञावुधेन, जितञ्‍च रक्खे अनिवेसनो सिया॥

इस शरीर को घडॆ के समान जान और इस चित्त को गढ के समान रक्षित और दृढ बना , प्रज्ञा रुपी शस्त्र के साथ मार से युद्ध करे । उसे जीत लेने पर भी चित्त की रक्षा करे और अनास्कत बना रहे ।

                                                 धम्मपद गाथा ३:४० चित्तवग्गो

Friday, April 9, 2010

Daily words of the Buddha # 9-4-2010

PNदीघा जागरतो रत्ति, सन्तस्स योजनं।

दीघो बालानं संसारो, सद्धंम्मं अविजानतं ॥

जागने वाले की रात लम्बी हो जाती है , थके हुये का योजन लम्बा हो जाता है । सद्धर्म को न जानने वाले मूर्ख व्यक्तियों के लिये संसार चक्र लम्बा हो जाता है ।

                धम्मपद गाथा ५:६० बालवग्गो ।

Thursday, April 8, 2010

Daily Words of the Buddha # 8-4-2010

अन्तलिक्खे न समुद्दमज्झे, न पब्बतानं विवरं पविस्स [पविसं (स्या॰)]।

विज्‍जती [न विज्‍जति (क॰ सी॰ पी॰ क॰)] सो जगतिप्पदेसो, यत्थट्ठितो [यत्रट्ठितो (स्या॰)] मुच्‍चेय्य पापकम्मा॥

न आकाश मे , न समुद्रं की गहराइयों मे , न पर्वतों की दराओं में प्रवेश करके , इस जगत मे कोई स्थान ऐसा नही है जहाँ कोई अपने पापकर्मों को भोगने से बच सके ।

                                                            धम्मपद गाथा ९/१२७ पापवग्गो

न अन्तलिक्खे न समुद्दमज्झे, न पब्बतानं विवरं पविस्स।

न विज्‍जती सो जगतिप्पदेसो, यत्थट्ठितं [यत्रट्ठितं (स्या॰)] नप्पसहेय्य मच्‍चु

न आकाश में , न समुद्र्म की गहराइयों मे , न पर्वतों के दराओं मे प्रवेश करके , इस जगत मे कोई ऐसा स्थान नही है जहाँ ठहरे हुये को मृत्यु दबोच न ले ।

                                                   धमम्पद गाथा ९/१२८ पापवग्गो

 

Wednesday, April 7, 2010

Daily words of the Buddha # 7-4-2010

मावमञ्‍ञेथ [माप्पमञ्‍ञेथ (सी॰ स्या॰ पी॰)] पापस्स, न मन्तं [न मं तं (सी॰ पी॰), न मत्तं (स्या॰)] आगमिस्सति।

उदबिन्दुनिपातेन, उदकुम्भोपि पूरति।

बालो पूरति [पूरति बालो (सी॰ क॰), आपूरति बालो (स्या॰)] पापस्स, थोकं थोकम्पि [थोक थोकम्पि (सी॰ पी॰)] आचिनं॥

’ वह मेरे पास नही आयेगा ’ ऐसा सोच कर पाप की अवेहलना न करे । बूंद-२ करने से घडा भर जाता है । ऐसे ही थोडा-२ संचय करने से मूढ व्यक्ति भी पाप से भर जाता है ।

                                           धम्मपद गाथा ९ पापवग्गो

Think not lightly of evil, saying, "It
will not come to me." Drop by drop is the water
pot filled; likewise, the fool, gathering it little by
little, fills oneself with evil.

                                    The Dhammapada Chapter Nine -- Evil

Monday, April 5, 2010

Daily words of the Buddha # 5-4-2020

पापञ्‍चे पुरिसो कयिरा, न नं [न तं (सी॰ पी॰)] कयिरा पुनप्पुनं।

न तम्हि छन्दं कयिराथ, दुक्खो पापस्स उच्‍चयो॥

यदि कोई पुरुष पापकर्म कर डाले तो उसे बार-२ तो न करे | वह उसमे रुचि न ले क्योंकि पापकर्म का संचय दुख का कारण बनता है ।

                                             धमपद गाथा ९:११७ पापवग्गो    

       Should a person commit evil, let one
      not do it again and again. Let one not find pleasure
      therein, for painful is the accumulation of evil.

Sunday, April 4, 2010

Daily words of the Buddha # 4-4-2010

मनुजस्स पमत्तचारिनो, तण्हा वड्ढति मालुवा विय।

सो प्‍लवती [प्‍लवति (सी॰ पी॰), पलवेती (क॰), उप्‍लवति (?)] हुरा हुरं, फलमिच्छंव वनस्मि वानरो॥

प्रमत्त होकर आचरण करने वाले मनुष्य की तृष्णा मालुवा लता की भाँति बढती है , वन मे फ़ल की इच्छा से एक शाखा छोडकर दूसरी शाखा पकडते बंदर की तरह वह एक भव से दूसरे भव मे लट्कता रहता है ।

                          धम्मपद गाथा  २४. तण्हावग्गो

The craving of one given to heedless living grows like a creeper. Like the monkey seeking fruits in the forest, one leaps from life to life (tasting the fruit of one's kamma).

                       The Dhammapada Chapter Twenty-Four -- Craving

Thursday, April 1, 2010

Daily words of the Buddha # 1-4-2010

मावोच फरुसं कञ्‍चि, वुत्ता पटिवदेय्यु तं [पटिवदेय्युं तं (क॰)]।

दुक्खा हि सारम्भकथा, पटिदण्डा फुसेय्यु तं [फुसेय्युं तं (क॰)]॥

तुम किसी को कठोर वचन न बोलो , बोलने पर दूसरे भी तुम्हें वैसा ही बोलेगें । क्रोध या विवाद वाली वाणी दु:ख है । उसके बदले मे तुमें दु:ख मिलेगा ।

                                      धम्मपद गाथा १० दणडवग्गो

Speak not harshly to anyone; for those
thus spoken to might retort. Indeed, angry
speech hurts, and retaliation may overtake you.