अनूपवादो अनूपघातो [अनुपवादो अनुपघातो (स्या॰ क॰)], पातिमोक्खे च संवरो।
मत्तञ्ञुता च भत्तस्मिं, पन्तञ्च सयनासनं।
अधिचित्ते च आयोगो, एतं बुद्धान सासनं॥
धम्मसंहिता पर आचरण करते हुये किसी के दोषों को न देखॊ ..दूसरों को तकलीफ़ न दो .. खाने और सोने मे संयमित रहो और ध्यान लगाने की पूरी चेष्टा करो ।
धम्मपद बुद्ध्वग्गो -गाथा १८५
Not despising, not harming, restraint according
to the code of monastic discipline, moderation in
food, dwelling in solitude, devotion to meditation--
this is the teaching of the Buddhas.
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