मनोपकोपं रक्खेय्य, मनसा संवुतो सिया।
मनोदुच्चरितं हित्वा, मनसा सुचरितं चरे॥
मानसिक चचंलता से बचे , मन को संयमित रखे और मानसिक दुराचार को त्याग कर मानसिक सदाचरण करे ।
धम्मपद गाथा १७.२३३
Let one guard oneself against irritability in thought;
let one be controlled in mind.
Abandoning mental misconduct,
let one practice good conduct in thought.
Dhammapada 17.233
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