Wednesday, January 20, 2016

वर्तमान में जीना - तिक नयात हन्ह


वर्तमान मे रहने का अर्थ यह नही है कि आप अतीत को भूल जायें या भविष्य की जिम्मेदारी से दूर चले जायें । बल्कि इसका अर्थ यह है कि आप अतीत को लेकर पछतावा न करें और भविष्य को लेकर चिंता न करें । अगर आप सचेतावस्था के साथ अतीत को देखेगें तो आप पायेगें कि अतीत आप की यात्रा में एक जांच का उद्देशय हो सकता है कि ऐसी परिस्थतियाँ क्यों और कैसे उत्पन्न हुयी । अतीत मे देख कर आप कई अंतर्दृष्टियों को प्राप्त भी कर सकते हैं लेकिन साथ ही में यह आवशयक है कि आप की दृष्टि वर्तमान समय पर सचेतावस्था के साथ रहे । ~तिक न्यात हन्ह, The Art of Power~

“To dwell in the here and now does not mean you never think about the past or responsibly plan for the future. The idea is simply not to allow yourself to get lost in regrets about the past or worries about the future. If you are firmly grounded in the present moment, the past can be an object of inquiry, the object of your mindfulness and concentration. You can attain many insights by looking into the past. But you are still grounded in the present moment.”
― Thich Nhat Hanh, The Art of Power
http://preachingsofbuddha.blogspot.in/2013/09/pastpresentandfuture.html


Tuesday, January 19, 2016

Perfection - Buddha


When you realize how perfect everything is, you will tilt your head back and laugh at the sky. – Buddha.


Monday, January 18, 2016

True friend - Buddha




An insincere and evil friend is more to be feared than a wild beast; a wild beast may wound your body, but an evil friend will wound your mind.  – Buddha.

Images shared under Creative Commons by Hartwig HKD, on Flickr


Sunday, January 17, 2016

Value of words - Buddha




Better than a thousand hollow words, is one word that brings peace. – Buddha.


Friday, January 15, 2016

मन अगुआ है।


अशोक चक्र - आइये जाने बुद्ध धम्म के इस प्रतीक को

अशोकचक्र भारतीयता का प्रतीकचिन्ह है। इस खास चिन्ह का भारत में मिलना/ दिखना जितना आम है, इसकी चौबीस शलाकाओं के बारे में जानकारी उतनी आम नहीं। मजे की बात तो यह कि कुछ समझदार लोगों ने तो इसके कुछ और ही नए अर्थ गढ़ लिए हैं।

दुर्भाग्य से हम भारतीय सम्राट अशोक को नाम से तो जानते हैं, अशोक चक्र को झंडे से लेकर मुद्राओं तक में बड़ी शान से लगाते हैं, परन्तु अशोक की महानता के कारक इस चक्र के बारे में नहीं। बुद्ध के बताए धम्म पर आधारित इस प्रतीक को जाने, समझे, और जीवन में उतारे बगैर एक अन्धविश्वास अथवा फैशन की भाँति क्यों ढो रहे हैं?

1    Avidyā (अविद्या)- lack of awareness -
2    Sanskāra (संखारा)- conditioning of mind unknowingly
3    Vijñāna (विज्ञान)- consciousness
4    Nāmarūpa (नामरूप)- name and form (constituent elements of mental and physical existence)
5    Ṣaḍāyatana (षड़ायतन)- six senses (eye, ear, nose, tongue, body, and mind) -
6    Sparśa (स्पर्श)- contact
7    Vedanā (वेदना)- sensation
8    Tṛṣṇā (तृष्णा)- thirst
9    Upādāna (उपादान)- grasping
10  Bhava (भव)- coming to be
11  Jāti (जाति)- being born -
12  Jarāmaraṇa (जरामरणा)- old age and death - corpse being carried.

These 12 in reverse represent a total 24 spokes representing the dhamma.