Tuesday, January 12, 2016

To live in the present moment is miracle -Thich Nhat Hanh



To live in the present moment is miracle .
~~Thich Nhat Hanh~~

Monday, January 11, 2016

धम्मपद 146 जरावग्गो -



Photo credit : Supriya Agarwal

जहाँ प्रतिक्षण सब कुछ जल रहा हो , वहाँ कैसी हँसी ,कैसा आनन्द ? ऐ अविधारूपी अंधकार से घिरे हुए भोले लोग तुम ज्ञानरूपी प्रकाशपुंज की खोज क्यों नही करते ?
धम्मपद 146 जरावग्गो


Sunday, January 10, 2016

Happiness is the path -Buddha



Buddha says:  "There is no path to happiness: happiness is the path"


Saturday, January 9, 2016

सिगालोवाद सुत्त - Sigalovada Sutta

सिगालोवाद सुत्त : छ: दिशाये और छ: प्रकार के रिशतों को बचाना ( ऊपर चित्र से )
छ: दिशाये:
१. जीवन का आरम्भ –हमारा बचपन । पूर्व दिशा बच्चॊ को तथा माता पिता को दर्शाती है ।
२. युवा होने पर अगला धरातल हमारा विधालय – दक्षिण दिशा विधार्थी तथा अध्यापकों को दर्शाती है ।
३. युवा –वयस्क होने पर परिवार का आरम्भ । पशिचम दिशा पति-पत्नी का प्रतीक है ।
४. आगे बढकर , हमारा सामाजिक जीवन । उत्तर दिशा मित्र तथा सहयोगी को दर्शाती है ।
५. कमाऊ होने पर हमारा व्यपार तथा अन्य कार्य होते हैं । नीचे की दिशा मालिकों , नियोक्ता तथा कर्मचारियों का प्रतीक है ।
६. जब हम जीवन मे परिपक्व होते हैं तब हम उच्च आर्द्श ढूँढते हैं । उत्तर की दिशा साधारण लोगों को तथा आध्यात्मिक गुरुऒं को दर्शाती है ।

दीघ निकाय के सिगाल सुत्त से पता चलता है कि सिगाल नामक युवक हठीला , भौतिकवादी और जिद्दी स्वभाव का युवक था । राजगृह के वेलुवन में विहार करते हुये भिक्षाटन के लिये निकले बुद्ध की मुलाकात श्रेष्ठिपुत्र सिगाल से होती है जो छह  दिशाओं को झुककर नमस्कार कर रहा था । बुद्ध के पूछने पर उसने बताया कि उसके पिता की अन्तिम इच्छा अनुसार वह यह अनुष्ठान नियमित रुप से करता है  लेकिन न तो उसको इस पर विशवास है और न ही वह इसका अर्थ जानता है ।
भगवान्‌ बुद्ध नें सिगाल को उपदेश देते हुये कहा कि उनके धम्म में पूरब का मतलब माता- पिता , दक्षिण का अर्थ गुरु  और शिक्षक , पशिचम का अर्थ पत्नी और बच्चे , उत्तर का मतलब मित्र और रिशतेदार , धरती का अर्थ कर्मचारी , नौकर-चाकर और आसामान का अर्थ साधु संत, महापुरुष तथा आर्दश व्यक्ति होता है । बुद्ध ने कहा कि छ: दिशाओं की पूजा इस तरह से करनी चाहिये


Friday, January 8, 2016

Thursday, January 7, 2016

धम्मपद-अप्पमाद वग्गो गाथा 29 -उत्साही बनें



आलस्य रहित,उत्साही बने रहते हुए सदैव जाग्रत रहने की यह भगवान बुद्ध की देशना लोगों की प्रगति हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण है। कमजोर घोड़े का उदाहरण भी सीधा सादा , सरल और रोचक है ।


Attitude -Dalai Lama

Dalai Lama says:  "I believe each human being has the potential to change, to transform one’s own attitude, no matter how difficult the situation."