Showing posts with label अत्तवग्गो. Show all posts
Showing posts with label अत्तवग्गो. Show all posts

Wednesday, December 30, 2015

धम्मपद गाथा 157 - अत्तवग्गो




यदि अपने को प्रिय समझते हो तो उसे सुऱक्षित रखो । समझदार व्यक्ति जीवन के तीन प्रहरों ( यौवनावस्था , प्रौढ़ावस्था और वृद्धावस्था ) में से किसी एक में तो सचेत हो ।
धम्मपद - 157-अत्तवग्ग्गो