यदि अपने को प्रिय समझते हो तो उसे सुऱक्षित रखो । समझदार व्यक्ति जीवन के तीन प्रहरों ( यौवनावस्था , प्रौढ़ावस्था और वृद्धावस्था ) में से किसी एक में तो सचेत हो । धम्मपद - 157-अत्तवग्ग्गो
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