Thursday, May 15, 2014
Wednesday, May 14, 2014
बुद्ध पुर्णिमा की शुभकामनायें...
युद्ध नहीं अब बुद्ध चहिए ।
मानव का मन शुद्ध चाहिए ॥
सत्य, अहिंसा, विश्व बंधुता, करुणा, मैत्री का हो प्रसार।
पंचशील अष्टांग मार्ग का पुनः जग में हो विस्तार ॥
समता, ममता, और क्षमता, से, ऐसा वीर प्रबुद्ध चाहिए ।
युध्द नहीं अब बुध्द चहिए ।
मानव का मन शुध्द चाहिए ॥
कपट, कुटिलता, काम वासना, घेर रगी है मानव को ।
कानाचार वा दुराचार ने, जन्म दिया है दानव को ॥
न्याय, नियम का पालन हो अब, सत्कर्मो की बुध्दि चाहिए ।
युध्द नहीं अब बुद्ध चहिए ।
मानव का मन शुद्ध चाहिए ॥
मंगलमय हो सब घर आँगन, सब द्वार बजे शहनाई ।
शस्य श्यामता हो सब धरती, मानवता ले अंगड़ाई ॥
मिटे दीनता, हटे हीनता, सारा जग सम्रद्ध चहिए ।
युध्द नहीं अब बुद्ध चहिए ।
मानव का मन शुद्ध चाहिए
अनित्यता - Impermanence (Anicca)
सब्बे संङ्खारा अनिच्चाति, यदा पञ्ञाय पस्सति।
अथ निब्बिन्दति दुक्खे, एस मग्गो विसुद्धिया।। (धम्मपद २७७)
सारे संस्कार अनित्य हैं यानी जो हो रहा है वह नष्ट होता ही है । इस सच्चाई को जब कोई विपशयना से देख लेता है , तब उसको दुखों से निर्वेद प्राप्त होता है अथात दु:ख भाव से भोक्ताभाव टूट जाता है । यह ही है शुद्ध विमुक्ति का मार्ग !! धम्मपद २७७
Tuesday, May 13, 2014
Monday, May 12, 2014
Saturday, January 19, 2013
Meaning/purpose of life?
Once a man asked to Buddha "what is meaning/purpose of life?"Buddha simply exclaimed "Life has no meaning in itself but itself is an opportunity to make it meaningful".
Monday, March 14, 2011
Daily words of the Buddha #14-3-2011#
पोराणमेतं अतुल, नेतं अज्जतनामिव।
निन्दन्ति तुण्हिमासीनं, निन्दन्ति बहुभाणिनं।
मितभाणिम्पि निन्दन्ति, नत्थि लोके अनिन्दितो॥
धम्मपद २२७
हे अतुल , यह पुरानी बात है , आज की नही , लोग चुप रहने वाले की भी निंदा करते हैं , बहुत बोलने वाले की भी निंदा करते हैं . संसार मे अनिंदित कोई नही है .
न चाहु न च भविस्सति, न चेतरहि विज्जति।
एकन्तं निन्दितो पोसो, एकन्तं वा पसंसितो॥
धम्मपद २२८
ऐसा पुरुष जिसकी निंदा ही होती है या प्रशंसा ही प्रशंसा , न था , न है और न होगा .
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